[१] मैं कोई मन्त्र-स्रष्टा, यंत्र-स्रष्टा या प्रतीक-स्रष्टा नहीं हूँ. मैं तो मात्र एक मन्त्र-द्रष्टा, यंत्र-द्रष्टा या प्रतीक-द्रष्टा हूँ. भारतीय 'रूपया' के लिए मुझे गहन ध्यान-साधना में जो सही व सर्वथा उचित मन्त्र, यंत्र/प्रतीक द्रष्टव्य हुआ वही सही व सर्वथा उचित मन्त्र, यंत्र/प्रतीक 'रू' मैं पहले भी इस ब्लॉग पर एक अन्य लेख के माध्यम से उदघाटित कर चुका हूँ और इस वर्त्तमान लेख के माध्यम से भी पुन्ह उदघाटित कर दिया है.
[२] मुझे गहन ध्यान-साधना में, जो भारतीय सरकार द्वारा 'रूपया' के लिए चुने गये, सर्वथा गलत अनुचित प्रतीक के बारे में द्रष्टव्य हुआ वह सब मैं इस ब्लॉग पर एक अन्य लेख के माध्यम से उदघाटित कर चुका हूँ.
[३] मेरे माध्यम से उदघाटित उपर्युक्त दैवीय/ इश्वरिय सत्य से लाभ लेना या न लेना भारतवर्ष की सरकार, नेताओं और भारतवासियों पर निर्भर करता है. मैंने उपर्युक्त दैवीय/ इश्वरिय सत्य का उदघाटन/प्रकाशन कर के भारतवर्ष के प्रति अपना कर्त्तव्य निभा दिया है.